अभी दो तीन पहले दैनिक भास्कर में फ्रंट पैज़ पर खबर छपी हमसे 28 गुना ज्यादा पेटेंट ले रहा चीन... क्यों हम विज्ञान कांग्रेस में अवैज्ञानिक बात करते हैं ? क्यों दुनिया के टॉप 4000 वैज्ञानिकों में अमेरिका 2639,चीन 482 और हमारे केवल 10 हैं ? तब हम लोगों को महात्मा फुले के विचार दर्शन चिंतन की स्मृति होआती हैं कि उन्होने उस समय समाज को चेताया था कि हमें अंधविश्वासों की तिलांजली देकर नए सोच विचार के लिए पहले अपने जीवन में उसे उतारा फिर लोगों को समझाया , कि रूढीवादी ढकोसलों से ऊपर उठकर आधुनिक शिक्षा से ही अच्छा जीवन सबका बन सकता है, जिसका परिणाम हुआ कि देश में स्वास्थय कृषि,उद्योग , निर्माण कार्यों आदि की नीतियाँ अंग्रेज़ो को बनाने के लिए आव्हान किया और देश की तरक्की की राह आसान हुई । जिसका अनुकरण बाबासाहेब अंबेडकर (वे भी श्रम नीतियों ,आधुनिक शिक्षा के पैरोकार थे ) ने करते हुये , समतामय समाज रचना के अभियान को स्वतंत्र भारत में और भी अधिक व्यवहारिक रूप में संचालित लिया मुझे बेटी-दामाद के पास लगभग दो ढाई माह लंदन प्रवास का मौका मिला । विगत 31 दिसंबर 2018 को मैंने वह स्थित हा बीआर अंबेडकर हाउस देखने का अवसर मिला ,तीन मंज़िला इस भवन में उनकी दिनचर्या व जीवन वृतांत से संबन्धित सामग्री का संग्रहण सैलानियों के प्रदर्शनार्थ रखा गया है। वहीं अलमारी के एक सेल्फ में बाबासाहेब के अभिप्रेरक साहित्य में महात्मा फुले की अवधारणाओं का गंथाकार संकलन भी अवलोकन मैंने किया । जो कि मेरे लिए सौभाग्य की बात रही व हम भारतीयों के लिए गर्व की । भास्कर में छपी उक्त खोज खबर से लगा कि अब भी हमें अंतराष्ट्रीय भौतिक उन्नति के लिए रहस्यमय आध्यात्मिक अवैज्ञानिक की सौच से ऊपर उठकर ऐसे महा मनीषियों ने प्रेरणा पाठ का अनुसरण करना होगा ।
वैज्ञानिक सोच ..... महात्मा फुले.... लंदन