- भारतीय सेना के पूर्व कैप्टेन 35 वर्षीय मेजर हिमांशु की रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था, क्योंकि वे 30 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरे थे, इस फ्रैक्चर के कारण उनको आंशिक पक्षाघात का सामना करना पड़ा था।
- नई दिल्ली स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर (आईएसआईसी) में डॉक्टरों के अनुसार यह मामला गंभीर था क्योंकि हड्डी के टूटे टुकड़े रीढ़ की हड्डी को गंभीर रूप से संकुचित कर रहे थे।
- मेजर हिमांशु ने सर्जरी के तुरंत बाद ठीक होने के संकेत दिए और लगातार फिजियोथेरेपी सेशन करवाया।
- सर्जरी के 10 दिनों के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई और डिस्चार्ज के समय, वे वॉकर की मदद से स्वतंत्र रूप से खड़े होने और चलने में सक्षम थे।
नई दिल्ली,: एक पूर्व भारतीय सेना अधिकारी जिन्हें एक दुर्घटना के बाद रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हुआ था जिसकी वजह से उनको आंशिक पक्षाघात का सामना करना पड़ा, अब वह पूरी तरह से ठीक हो गये हैं; भारतीय स्पाइनल इंजरीज सेंटर के चिकित्सकों को धन्यवाद जिन्होंने उनकी टूटी हुई रीढ़ की हड्डी को जोड़ने के लिए जरूरी सर्जरी की थी।
35 वर्षीय हिमांशु बालकनी से अचानक गिर गये थे जिसकी वजह से उनको गंभीर चोट लगी थी, उनको गंभीर अवस्था में आईएसआईसी में भर्ती कराया गया था, तब वह फिर से चलने में सक्षम हो गये।
मेजर हिमांशु को हल्द्वानी में तैनात किया गया था जब वे 30 फीट की ऊंचाई से गिर गए थे। वह पहलीमंजिल की बालकनी पर खड़े थे, जिसमें कोई रेलिंग नहीं लगी थी। किसी तरह, उन्होंने अपना संतुलन खोदिया और गिर गये जिससे रीढ़ में गंभीर चोट लगी। गिरने के तुरंत बाद, मेजर हिमांशु ने अपनी पीठ मेंगंभीर दर्द महसूस किया और लगभग तुरंत बाद दाहिना पैर कमजोर हो गया। दाहिने पैर में आंशिकपक्षाघात के कारण कुछ समय के बाद वह चल नहीं पाये और न ही खड़े हो सके और यह स्थिति बदतरहोने लगी। उन्हें पास के अस्पताल में ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मरीज की स्थिति को बहुत ही गंभीरबताया और यह सलाह दी कि तत्काल सर्जरी करवायें नहीं तो यह रोगी के लिए समस्या पैदा करेगा। चूंकि उस अस्पताल में कोई ऐसा विशेषज्ञ नहीं था जो सर्जरी कर सके। ऐसे में, हिमांशू को हल्द्वानी में प्राथमिक उपचार के बाद सर्जरी के लिए इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी) लाया गया।
लुंबर वर्टेब्रा (कशेरूक-रीढ़ का जोड़) रीढ़ की हड़डी की सभी कशेरुकाओं में 5वां सबसे बड़ा और सबसे मजबूत हिस्सा है और इस हिस्से में पीठ का निचला हिस्सा भी शामिल होता है। इसलिए, शरीर के इस हिस्से पर कोई भीप्रभाव स्थायी रूप से प्रभावी हो जाता है। मेजर हिमांशु को उनकी पीठ में गंभीर दर्द और दाहिने पैर में कमजोरी केसाथ यहां लाया गया था जो कि आंशिक पक्षाघात के रूप में बढ़ रहा था और उनको गतिविधि करने में समस्या हो रही थी। जांच करने पर, हमने पाया कि उनकी रीढ़ में फ्रैक्चर हो गया है और टूटे टुकड़े रीढ़ की हड्डी को गंभीर रूपसे संकुचित कर रहे हैं, जिसे तकनीकी रूप से ‘कंप्रेशन फ्रैक्चरश् के रूप में जाना जाता है। हमें रीढ़ की हड्डी को बहुत सावधानी से विघटित करना था और उन सभी फ्रैक्चर तत्वों को हटाना था जो रीढ़ की हड्डी को संकुचित कर रहे थे। अस्पताल में उनके भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर उनका ऑपरेशन किया गया। हमने पेंच (स्क्रू) और छड़ (रॉड) के साथ रीढ़ को स्थिर किया- रीढ़ की हड्डी को किसी अन्य नुकसान से बचाना हमारे सामने प्रमुख चुनौती थी। डॉ. नीरज गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, इंडियन स्पाइनल इंजरीजसेंटर, नई दिल्ली में स्पाइन सर्जन ने ये बातें कहीं।
थोरैकोलम्बर फ्रैक्चर सहित फ्रैक्चर वाली स्पाइन यानी रीढ़, ऊंचाई से गिरने की वजह से होने वाले फ्रैक्चर में सबसे आम है। अन्य चोटें जो इस तरह गिरने के कारण हो सकती हैं वे हैं सिर की चोटें, सर्वाइकल स्पाइन इंजरी (ग्रीवा रीढ़ की चोटें), सीने की चोटें, लंबी हड्डी में फ्रैक्चर और टखने या पैर में होने वाला फ्रैक्चर। डॉक्टर हिमांशु की ऑपरेशन के बाद जल्दी ठीक होने से बहुत खुश हैं - उन्होंने सर्जरी के तुरंत बाद ठीक होने के संकेत दिए जो धीरे-धीरे अगले कुछ दिनों में और भी बेहतर हो गये। श्श्अगले 2 हफ्तों तक लगातार फिजियोथेरेपी सेशन के बाद, हिमांशु में उल्लेखनीय सुधार हुआ और सर्जरी के 10 दिनों के बाद उनको छुट्टी दे दी गईय डिस्चार्ज के समय, वे वॉकर की मदद से स्वतंत्र रूप से खड़े होने और चलने में सक्षम थे। पूरी अवधि के दौरान हिमांशु ने जो साहस दिखाया है, वह सराहनीय है। डॉ. गुप्ता ने ये भी कहा।
‘’चोट के साथ जब मैं इनसे मिला, तो मैं ठीक होने के बारे में चिंतित था और मेरे दिमाग में बस एक ही सवाल चलरहा था कि क्या मैं फिर से चल पाऊंगा। मैं इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर की विशेषज्ञता और देखभाल से खुश हूंऔर उनके पास उत्कृष्ट नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ है। 4 घंटे की सर्जरी के बाद मैं वॉकर की मदद सेस्वतंत्र रूप से खड़े होने और चलने में सक्षम था और इसे बेहतर बनाने के लिए डॉ. निखिल, फिजियोथेरेपिस्ट, नेमेरी बहुत मदद की और मात्र 10 दिनों में मैं ठीक हो गया।‘’ मेजर हिमांशु ने ये बातें कहीं।
वर्तमान में वह एक एनजीओ के लिए काम कर रहे हैं जो नैनीताल जिले में लोगों के स्वास्थ्य और शिक्षा के लिएकाम करता है।